श्री हनुमान जी के दुत कोन होते हेँ ॥ दुत महाराज कोन होते हेँ

श्री हनुमन जी के दुत इया दुत महाराज कोन होते हेँ?



जवभि कोइ व्याक्ति भुत प्रेत से ग्रसित होकर मेहन्दिपुर वालाजी जाते हेँ तव हनुमान जी उस व्याक्ति के सारे संकट हर लेते हेँ। जव कोइ व्याक्ति मेहन्दिपुर वालाजि मन्दिर जाता हे तव उसक संकट को हरने के लिये ओ व्याक्ति वालाजी के पाश अर्जी लगाते हेँ। अर नियमित रूप से वालाजि की पूजा अर्चना करता हे। तव उसके उपर यो संकट हेँ उसे वालाजी हर लेते हेँ। अगर कोइ व्याक्ति भुत प्रेत आदि से ग्रसित हेँ तव वालाजी उस भुत प्रेत को अपने चरनो मे रख लेते हेँ। जिस आत्मा को वालाजि चरनो मे रखते हेँ उसे वाद मे भेरव वावा के पाश भेज देते हेँ। उस आत्मा को भेरव वावा का भक्ति करना होता हेँ अर उन्हे कडि परिक्षा से गुजरना पडता हेँ। जव आत्मा परिक्षा पार कर लेता हेँ अर भेरव वावा की भक्ति करने लगता हेँ तव ओ वनता हेँ दुत महाराज।



जव भि किसि के शरीर से प्रेत निकलता हेँ तव उसका शरीर खाली हो जाता हेँ। अर उस शरीर मे कोइ भि आत्मा अपना वसेरा वना सकता हेँ। तव वालाजी के कृपा से उस शरीर मे एक दुत महाराज को भेजा जाता हे। दुत महाराज हनुमान जी का इया भेरव वावा का भि हो सकता हेँ। जव दुत महाराज किसि भि शरीर मे जाते हेँ तव उसके अन्दर स्वात्विक गुणो का सञ्चार होने लगता हेँ।



दुत महाराज हमेशा शरीर मे नेहि रहते लिकिन उसका एक अंश हमेशा शरीर मे रहता हेँ। जव भी वाहार से कोइ वुरि आत्मा उस शरीर का वुरा करना चाहता हेँ तव दुत महाराज उन्हे कठोर शजा देता हेँ।



कितने प्रकार के होते हे दुत महाराज:



दुत महाराज 5 तरीके के होते हेँ-

1. रक्षा के दुत महाराज

ए दुत हमेशा शरीर मे नेहि रहति, लिकिन इनका अंश हमेशा शरीर मे रहता हेँ।

2. पेशी के दुत महाराज

ए दुत महाराज शरीर मे प्रवेश नेहि करति वाहार से आने वालि वरि आत्माओ को कठोर शजा देता हे।

3. क्रिया के दुत महाराज

अगर कोइ भि व्याक्ति तान्त्रिक क्रिया कर राहा हे तो उनको सदा के लिये काट डालता हे ए दुत महाराज।

4. भांगीवाडे के दुत महाराज

महिलाओ के अपवित्र के समय अगर कोइ वुरि शक्ति उनका वुरा करना चाहता हे तव ए दुत महाराज उन्हे कठोर से कठोर डन्ड देता हे। ए जादातर शरीर मे नेहि आते लिकिन वक्त आने पर ए शरीर मे आ सकते हे।

5. संकट काटने वाले दुत महाराज

श्री हनुमान जी के कृपा से शीघ्र प्राप्त होने वाले ए दुत वहत शक्तिशाली हे। ए एक नेहि होते इनकी पुरी सेना होता हेँ। ए किसि कि शरीर मे नेहि रहते। वाहार से आने वालि केसि भि कितनी भि शक्तिशाली प्रेत किउ ना हो ए एक पल मे उन सभी का नाश कर देता हेँ। ए दुत सीधे वालाजी से आज्ञा लेकर आते हे।



ए सभि दुत वालाजी अर भेरव वावा के दुत होते हेँ। ए दुत मोक्ष प्राप्त करने वाले आत्माए होति हे। ए शरीर मे कोइ भि नुकशान नेहि करति। ए जव आपके शरीर मे आते हे तव आप भगवान की भक्ति करना शुरु कर देते हो। अर जव ए जाते हे तव ए भगवान का जयकारा करके जाते हेँ

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