3500 साल पुराना है इतिहास, पिछले साल तक राम-कृष्ण की मूर्तियां थामे दिखते थे स्वामी प्रसाद

हिंदू धर्म केवल धोखा है"...यह शब्द सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के हैं। स्वामी अगली लाइन में कहते हैं, "ब्राह्मण धर्म को हिंदू धर्म कहकर इस देश के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को धर्म के मकड़जाल में फंसाने की एक साजिश है।" स्वामी प्रसाद इसके पहले रामचरितमानस की चौपाइयों पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि उनका हिंदू विरोध बहुत पुराना नहीं है। पिछले साल तक वह राम, कृष्ण और गणेश की मूर्तियां स्वीकार करते थे। मूर्तियों के सामने दीपक जलाते थे।

क्या हिंदू धर्म धोखा या फंसाने की साजिश है?:3500 साल पुराना है इतिहास, पिछले साल तक राम-कृष्ण की मूर्तियां थामे दिखते थे स्वामी प्रसाद
19 दिन पहलेलेखक: राजेश साहू

अब सवाल है कि क्या सच में हिंदू धर्म जैसा कुछ नहीं है? क्या हिंदू धर्म धोखा है? क्या लोगों को साजिश के तहत फंसाया जा रहा? ऐसे कई सवाल हैं। आज उन सबके जवाब जानेंगे। हम यह भी जानेंगे कि हिंदू धर्म की शुरुआत कहां से हुई? हिंदू मंदिरों पर कितने हमले हुए? किसने हमले किए? आइए एक तरफ से जानते हैं…

पारसियों की किताब में पहली बार हिंदू शब्द का जिक्र
हिंदू धर्म की शुरुआत कब हुई? पहली बार इसका नाम कब आया? इसकी कहीं भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। हर इतिहासकार इसे लेकर अलग-अलग दावा करते हैं। जो सबसे मजबूत दावा है वह यह कि 1500 ईसा पूर्व यानी आज से करीब 3500 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता थी। वहां पहली बार आर्यों ने अविस्तक धर्म की स्थापना की। भाषा के जानकार मानते हैं कि हिंद-आर्य भाषाओं की 'स' ध्वनि ईरान में 'ह' ध्वनि में बदल जाती है। इसलिए सप्त सिंधु अवेस्तन भाषा में जाकर हप्त हिंदू में बदल गया। यही वजह है कि ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। लेकिन पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लोगों को आज भी सिंध या फिर सिंधु कहा जाता है।
क्या हिंदू धर्म धोखा या फंसाने की साजिश है?:3500 साल पुराना है इतिहास, पिछले साल तक राम-कृष्ण की मूर्तियां थामे दिखते थे स्वामी प्रसाद
19 दिन पहलेलेखक: राजेश साहू

ईरानी अर्थात पारस्य देश के पारसियों की धर्म पुस्तक अवेस्ता में हिंदू शब्द की चर्चा है। सिंधु घाटी सभ्यता में ही ऋग्वेद लिखा गया। वेद मानव सभ्यता के सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। इस वक्त वेदों की 28 हजार पांडुलिपि पुणे के 'भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट' में रखी हुई हैं। ऋग्वेद में सूर्य, आकाश और अग्नि जैसे देवताओं की प्रशंसा मिलती है। मंदिर की कोई चर्चा नहीं है। यज्ञ की बात होती है। हालांकि उस वक्त धर्म शब्द का कहीं उल्लेख नहीं मिलता। करीब 1000 से 500 ईसा पूर्व में पुराण अस्तित्व में आए। इसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव जैसे देवताओं की बात लिखी गई।
हुए? किसने हमले किए? आइए एक तरफ से जानते हैं…

बौद्ध ने टीले बनवाए, हिंदुओं ने मंदिर
करीब 700 से 500 ईसा पूर्व में बौद्ध और जैन धर्म की शुरुआत हुई। बौद्ध और जैनियों ने अपने उपदेशकों की याद में टीले बनवाए। यह देखकर हिंदुओं को भी मंदिर बनाने की प्रेरणा मिली। इतिहासकार नीरद सी. चौधरी कहते हैं कि मूर्ति पूजा का जो सबसे पुराना संकेत मिलता है, वह 400 ईसा पूर्व का है। माइथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक का मानना है कि बड़े किसानों ने सबसे पहले मंदिर का निर्माण शुरू किया। ब्राह्मणों के जरिए इसके रखरखाव के लिए अलग से जमीन दी।

इतिहासकार मनु वी. देवदेवन कहते हैं कि करीब 700 ईसवी में कांचीपुरम के पल्लव, बादामी के चालुक्य और अन्य राजशाही राज्यों में मंदिर निर्माण पर बढ़ावा देना शुरू किया। 1000 से 1200 ईसवी के बीच तो हर शहर हर कस्बे में एक से अधिक मंदिर हो गए। मंदिर बढ़े तो लूट भी बढ़ी। इसे हम ग्राफिक से समझते हैं।


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