hindi kahani: जंगल का ओ घर सवको निगल जाता हे।

नमस्ते मित्रो आपने भुत कि काहानि तो वहुत शुने हेंगे । आज हम आपको एक जङ्गल कि भुतिया काहानि शुनायेंगे। ए काहानि हमारे एक मित्र ने हमको भेजि हे तो चलिये काहानि शुनते हे।





राजन अर कृतिका एक अफिस मे काम करता था। कृतिका अर राजन वहुत अच्छे दोस्त थे। कव उनकी दोस्ति प्योर मे वदल गेया उनको पता नेहि चला। कृतिका स्वभाव से सिधि साधि लडकि थि। अर राजन भि अच्छा अर समजदार एक लडका था। उन दोनो कि उमर तकरीवन 23-24 के आशपाश होगा। कृतिका दिखने मे वहुत सुन्दर थि। कृतिका अर राजन का एक दुसरे के उपर प्योर वडने लगा लिकिन कुछ था जो उन दोनो को एक दुसरे को मिलने से रोक राहा था। एकदिन दोनो अफिस से छुट्टि लेकर कहि घुमने जाने का प्लेन वनाया। ओ दोनो प्योर कि सारि हदे पार करना चाहते थे। राजन भि कृतिका के प्योर मे उत्ताव्ला था।

कृतिका ने राजन को फोन करते हुये काहा,



 घुमने के लिये कोइ अच्छि जगा मिलि।

 राजन जवाव देते हुये काहा हाँ ।

 कृतिका ने वोला 'काहा'

 राजन वोला सरप्राइज हे तोमको मेसेज करता हु।

ए वोलकर राजन ने फोन काट दिया। कृतिका घुमने जाने लेकर वेचन होने लगि। कुछ देर वाद रोहन का मेसेज आया अर ओ एड्रेस एक हिलस्टेशन का था। कृतिका अपनि खुशि जाहिर करने के लिये राजन को फोन किया, लिकिन राजन ने फोन नेहि उठाया। कुछ समय वाद फेरसे एक मेसेज आया अर कृतिका को पता चला उन्हे कल सुभे लिकलना था। रोहने कृतिका को फोन किया अर घुमने के प्लेन के वारे मे सवकुछ वताया।



दुसरे दिन सुवह ओ लोग प्लेन से हिल स्टशन पोहचे। उनको पोहचते पोहचते दोपहर हो गया। ओ लोग होटल पोँहचे अर फ्रेस होकर वाहार घुमने चले गये। ओ लोग एक जङ्गल पोहचे अर जङ्गल के थोडे अन्दर जाकर ओहा वेठ गये। दोनो वात करने लगे वात करते करते कृतिका अर राजन एक दुसरे के आखो मे जेसे डुवने लगे। दोनो के अन्दर एक प्योर कि तलव थि। राजन कृतिका के आँखो अर होटो को अपने हातो से सहलाने लगे। राजन धीरे धीरे कृतिका के करिव जाने लगा। कृतिका वस राजन के आँखो मे देखता राहा। राजन अपने होटो को कृतिका के होटो के करीव ले गया। कृतिका भि राजन के करीव जाने लगी। दोनो एक दुसरे के होटो के रस को पान करने लगे। रोहन धीरे धीरे कृतिका के वालो को सहलाते सहलाते उसको अपने अगोस मे लेने लगा। ओ देने प्योर की गेहराइ मे उतरने हि वाली थि कि



तव पिछे से एक आओयाज आया 'ओ लेला मजनु अगर तुम लोगो कि हो चुकि हो तो अव मेरि वात शुनो।

अचानक आयि इस आओयाज ने दोनो को चोका दिया। दोनो सम्भल गये। राजन खडा हो गया अर देखा सामने एक पथ्थर पर एक हवलदार खडा होकर उनको देखने लगा। राजन अर कृतिका की आँखे नीचे कि अर थि। तव हवलदार ने वोला मुझे पता हे तुमलोग एहा केया करने आये हो। ए जङ्गल वहुत खतरनाक हे। इस जङ्गल से वाहार निकलकर पश मे हि एक पार्क हो जाहा पर तुमारे जेसे वहुत मिलेंगे। ओहा पर जाकर तुम वेठ सकते हो। रोहन सर नीचे करकर हा मे जवाव दिया। जङ्गल के अर अन्दर मत जाना वरना खो जाओगे, अर तुम जेसे लोगो के वजह से हमे कितना तकलिफ उठाना पडता हे। कुछ देर वाद मे वापस लोटुंगा तव तुम मुझे दिखना नेहि चाहिये।



ए वोलकर हवलदार ओहा चला गेया। राजन कृतिका-के ओर दखने लगा। तव कृतिका ने अपनि आखो से, दूर जाते हुये हवलदार को दिखाते हुये काहा अव काहा चले मजनु'। अर ओ दोनो हसने लगे।

राजन वोला जंगल के थोडे अर अन्दर चलते हे

लिकिन कृतिका जाना नेहि चाहता था।

लिकिन आखिर मे राजन कृतिका को मनाहि लेता हे। कहि ना कहि कृतिका को भि राजन के प्योर का रस पीना था। इसिलिये दोनो वात करते करते जङ्गल के अन्दर जाने लगे।



कृतिका ने राजन से पुछा ओ पुलिश हवलदार केहराहा था जङ्गल मे खतरा हे केया तुमे पता हे कि केया खतरा हे।

राजन जवाव देते हुये काहा हाँ केहते हे इस जङ्गल के वीच मे एक वुडिया रहता हे। केहते हे अगर कोइ वुडिया के घर के अन्दर कोइ चला जाता हे तो ओ कभि वापस वाहार नेहि आता। दोनो वात करते करते जङ्गल के वहत अन्दर आ गये। तव दोनो एक जगा वेठ गये अर वात करने लगे।



कृतिका को एसा लगा कि कोइ पेडो के पीछे से उन्हे देख राहा हे। कृतिका ने चिल्लाते हुये रोहन को काहा पेड के पिछे पेड के पिछे कोइ हे। रोहन भि अर सम्भल गेया। अर पेड के पिछे देखने गया लिकिन कोइ नेहि था।  कृतिका अव डर चुकि थी अर ओ जङ्गल से वाहार जाना चाहते थी। तव फेरसे उस हवलदार की आओयाज आइ 'मुझे पता हे कि तुम दोनो अन्दर हो, अभि भि समय हे मेरे साथ वाहार चलो। वरना खो गये तो अव हमारे पाश मत आना'। एसा केहते केहते ओ आओयाज दुर जाने लगि। राजन ने काहा मे थोडा आगे देखकर आता हु कि ओ हवलदार गेया कि नेहि तव हम दुसरि दिशा से वाहार निकल जायेंगे। तव शाम होने चला था। राजन कृतिका को ओँहा खडा करके थोडा आगे देखने चला गेया।



कृतिका अकेला ओहा पर खडा था। तव उसने अपने पेरो कि ओर देखा। देखा तो पेरो के पाश एक लाल रं का कोइ फल पडा हुया था। उसने फल को उठाया अर हात से साफ करकर देखा तो ओ एक छेटे से आम कि तरह था। कृतिका ने थोडा सा उसे चख कर देखा, जिभ पर लगते हि जेसे उसका जिभ जलने लगा। कृतिका ने फलको थुक कर अपने मुह को साफ करने लगा। तव उसने देखा कि कोइ पोड के पिछे से उसे झाक राहा हे। कृतिका का शर जेसे घुमने लगि अर सवकुछ साफ साफ दिखाइ नेहि दे राहा था। कृतिका घवराते घवराते किसि एक दिशा मे भागे जा रहि था। ओ जेसे वेहोस होने लगा। राजन को आओयाज देने के लिये उसके पाश थोडा सा भि ताकत नेहि था। उसकि आँखे धुल्लाते चलि गइ तव सामने किसि इन्सान को देखकर ओ वेहोस हो गइ। दे घन्टे वाद जव उसे होस आया तव ओ एक पेड के नीचे पडि हुयि थि। फल का असर थोडा थोडा थि इसिलिये कृतिका राजन को जोर से आओयाज नेहि दे पा राहा था। ओ जङ्गल मे एक तरफ चलति जा रहि थी। थोडा दुर जाने के वाद उसे एक घर दिखाइ दि। तव उसके मन मे राजन कि कहि हुयि वात याद आने लगि। अर उसके अन्दर एक सनसनाहट सि दोड गयि। ओ आगे वडने लगि आगे उसे सेर्फ जङ्गल हि जङ्गल दिखाइ देने लगा। तव ओ सोच मे पड गयि कि अगर ओ उस घर मे चला जाता तो उसे कोइ ना कोइ मदद मिलति। जव कृतिका अर थोडा आगे गेइ तव फेरसे उसे उहि घर दिखाइ दि, उसने चोकते हुये सोचा घर तो मेने पीछे छोड दिया था तो ए घर सामने केसे आया। तव कृतिका जादा ना सोचकर घर कि ओर वडने लगि। कृतिका के हात मे एक लकडि का मोटा डन्डा था। अगर कोइ प्रोवलेम आइ तव ओ डन्डा उसका एक हतिया वन सकता हे। घर के दरवाजे के पाश जाकर कृतिका ने जोर से आओयाज दि 'घरमे कोइ हो'।

घरके अन्दर से कोइ जवाव नेहि आइ, लिकिन घर अन्दर से वन्द था इसिलिये उसके एक आशा थि कि घरके अन्दर कोइ तो होगा।



कृतिका ने फेरसे आओयाज दि तव घरके अन्दर से एक चलने कि आओयाज आइ जेसे कोइ वहत वुजुर्ग आदमि चल राहा हो येसे। तिन-चार मिनिट वाद को धीरे से दरवाजा खुला। देखा तो एक 70 से 80 साल का एक एक वुर्जुर्ग आदमि था जिसकि पुरे चेहरे मे झुर्रिआ पड गइ थि। आदमि ने उसे देखते हुये काहा कोन हो। कृतिका ने अपनि परिचय देते हुये काहा मे अर मेरा देस्त एहा घुमने आय थे अर मे रास्ता भटक गेइ केया आप मुझे रास्ता वता सकते हे। वुडे ने जवाव दिया रास्ता तो वहत दुर हे आज रात एहा रुक जाओ कल सुवह चले जाना वेसे भि अन्धेरा हो गेया हे। वुडे कि वात शुनकर कृतिका सोच मे पड गइ अर एक पल के लिये फेरसे राजन कि कहि हुयि वात इयाद आने लगि। फेरभि रात का समय था अर जङ्गलि जानवरो का खतरा भि था, इसिलिये कृतिका वुडे के घर मे चलि गेइ। घरके अन्दर पेर रखते हि उसने एक झलक पुरे घर को देख लिया। घरमे वुडे के अलावा अर कोइ नेहि था।

केया आपके साथ एहा कोइ नेहि रहता कृतिका ने वुडे से पुछा।

वुडा धीरे से जवाव देते हुये काहा रहति थि मेरि पत्नी लिकिन कुछ समय पेहले उसकि मत हो गइ।

वुडे ने कृतिका को पानी दि अर वोला ए नदी का साफ पानी हे तुम पी सकते हो।

कृतिका ने पानी पी अर एक कुर्सि पर वेठ गइ। वुडा भि तव कुछ दुर रखे एक आराम चेयार पर वेठ गइ अर अपनि काहानि शुनाने लगि।



जङ्गल के इस घर मे मे अर मेरि पत्नी रहते थे। मेरि पत्नी वहुत अच्छि खाना वनाति थि। हमने घरके उपर कि मकान को भाडे पर दे देता था। जव भि कोइ टुरिस्ट एहा पर घुने आते तव हम उनको उपर वालि मञ्जिल भाडे पर दे देते। मेरि पत्नी हमेशा खुश रहति अर जव भि कोइ एहा पर आता था तव ओ वहुत खुश होति। मेरि पत्नी को पेसो से कोइ मतलव हि नेहि था। ओ वहत अच्छ थि।

ए केहते केहते वुडा आदमि ओ आराम कुर्शि पर शोने लगा। आखे वन्द कर उसने वोला, आज रात तुम उपर के कमरे मे रह सकते हो। कृतिका उपर गेइ अर देखा कमरा विल्कुल साफ सुथरा था जेसे किसिने साफ कि हो। तव दुर से एक आओयाज आइ जो कृतिका को वुला रहि था। कृतिका खिडकि के पाश जाते हुये देखा कि ओहा पर राजन कुछ लोगो के साथ कृतिका का नाम पुकारते पुकारते उसे ढुन्ड रहि था। कृतिका भागते हुये नीचे गेइ अर वुडे से काहा कि मेरा दोस्त मुझे ढुन्डते हुये आ गेइ हे इसिलिये आप दरवाजा खुल दिजिये। वुडे का कोइ जवाव नेहि आया इसिलिये उसने दरवाजा खुलने कि कोशिश करने लगा लिकिन दरवाजा खुलाहि नेहि। कुछ समय वाद वडे का आख खुला अर ओ कृतिका के ओर देखने लगि। कृतिका वुडे से दरवाजा खुलने का विनति करता गेया लिकिन वुडा विल्कुल शान्त राहा अर वोला मेने तुम्हे पुरि काहानि नेहि वताइ। वुडा पुरा काहानि वताने लगा:



एकवार एक जोडा एहापर घुमने आइ अर उनको उपर का मकान दे दिनो के लिये भाडे पर दे दि। ओ लडका मेरि पत्नी को पेसे दिये अर उपर चले गइ। नीचे आते समय उस लडके ने मेरि पत्नी को पेसे रखते हुये देख लि। मेरि पत्नी हर वार कि तरह खुशि से खाना वनाने लगि। दो-तिन घन्टे वाहार घुमने के वाद हम खाना खाकर शोने चले गेये। अर ओ लोग भि अपने कमरे मे चले गये। लिकिन विच रात को एक आओयाज से हमारि निन्द टुटि अर हमने देखा ओ लडका हमारे पेशे चुरा रहे थे। मेरि पत्नी चुप रहि अर मुझे काहा शायद उसको वहत जरुरि होगा उसे ले जाने दिजिये। लिकिन ओ लडका मेरि पत्नी को देख लिया अर मेरि पत्नी को उसने वेरहमि से मार डाला। तव लडका तो ओहा से भाग गेया लिकिन मुझमे इतनी ताकत नेहि वचि थि कि मे अप्नी पत्नी को वाँचा पाता। कुछ समय वाद फेरसे ओ लडका वापस आया अर पुरे घर को आग लगा दि। आग मे मेरि पत्नी के साथ साथ मे भि जल गेया।



पुरि काहानि शुनने के वाद जेसे कृतिका सहम गइ अर ओ दरवाजे के पाश जाकर चिल्लाने लगि लिकिन घरसे एक भि आओयाज भि वाहार नेहि जा राहा था। राजन को कृतिका अव कभि नेहि मिलि। ओ घर कृतिका को पेहले हि निगल चुकि थि।

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