पञ्चसखा कोन हे। पञ्चसखा के वारे मे पुरि जानकारि


पञ्चसखा सम्प्रदाय का प्रादुभाव उस समय हुया था, जव चेतन्य महाप्रभु वङ्गाल मे भक्ति की मन्दाकिनी प्रवाहित कर रहे थे। वलरामदास, जगन्नाथदास, यशोवन्तदास, अनन्ददास, अचत्यानन्ददास, की गनना पञ्चसखा के अन्तर्गत की जाति हे, जो रागानुराग भक्ति के प्रचारक योग साधना के समर्थक थे। तो चलिये हम पञ्चसखा के वारे मे जानते हे-



वलरामदास



1474-1522 के विच मे जन्मे ओडिशा कवि अर साहित्यकार थे। वे ओडिशा साहित्य के भक्ति युग के पाँच महान सन्तो मे से एक थे। अर पञ्चसखा के सवसे वरिष्ट थे। उन्होने जगमोहन रामायन लिखी जिसे दांडी रामायन के नाम से जाना जाता हे।



जगन्नाथदास



ओडिशा मे 1491-1550 के वीच मे जन्मे ओडिशा कवि अर साहित्यकार थे। वेह ओडिशा साहित्य मे प्रसिद्ध पञ्चसखा के पाँच महान कवियो मे से एक थे। उन्होने ओडिशा भागवत कि रचना की।



यशोवन्तदास



यशोवन्तदास का जन्म लगभग 1487 मे हुया था। वेह एक ओडिशा कवि साहित्यकार अर रहस्यवादी थे वेह ओडिशा साहित्य के पाँच महान साहित्य मे से एक थे। साहित्य के भक्ति युग के दोरान ओ पञ्चसखा मे से एक थे। उन्हे उनके काम प्रेम भक्ति व्रह्मगीत के लिये जिना जाता हे।



अनन्ददास



अनन्ददास का जन्म 1475 इ ओडिशा कवि साहित्यकार अर रहस्यवादी थे। वे ओडिशा साहित्य के पाँच महान कविओ मे से एक थे, उन्होनो अपनि कृति हेतु उदर भागवत के लिये प्रसिद्ध हुये।



अच्युतानन्ददास



अच्युतानन्ददास 16 वी सदी के कवि, द्रष्ठा अर ओडिशा के वेष्णव सन्त थे। केहते हे कि उन्हे भुत, वर्तमान एवं भविष्य देखने कि शक्ति प्राप्त थि, वे महान लेखक थे, वे उन पाँच व्याक्तियो मे से थे जिन्होने संस्कृत ग्रन्थो का स्थानीय भाषाओ मे अनुवाद करके पुरी भारत मे अध्यात्मिक क्रान्ति ला दी। उनका ओडिशा भाषा मे रचित ग्रन्थो शुन्यसंहिता प्रसिद्ध हे।



हमने आपको पञ्चसखा के वारे मे छोटि सि जानकारि दि। अगर आपको हमारा ए पोष्ट अच्छा लगा तो हमे फोलो करिये हम आपको लिये अर भि रोचक जानकारि लायेंगे। पञ्चसखा के वारे मे विस्तित जानकारि के लिये हमे कमेन्ट किजिये।

धन्यवाद।


जय जगन्नाथ





Sourav Pradhan

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