आजके इस दर मे जाँहा रोग व्याधि से हर कोइ पिडित हेँ। कोइ नकरी लेकर परिशानि मे हेँ। अर कोइ मानसिक स्वास्थ से परिशान रहते हेँ। अहा हम आपके लिये एक एसि उपचार लाये हेँ जो किसि भि प्रब्लेम मे रामवान जेसा उपकारि हेँ। इससे मानसिक स्वास्थ ठिक रहता हेँ। अर इसके प्रयोग से सारे काम सिद्ध हो जाता हेँ। अर रोग व्याधि आपसे दुर रहते हेँ।
हम वात कर रहे हेँ हनुमान चालिशा कि हनुमान चालिशा एक एसि उसधि हेँ जो की हर वाधा, विपत्ति अर परिशानि से मुक्ति दिलाने मे आपकि मदद कर सकता हेँ। हनुमान चालिशा इतना हितकारि हेँ कि जो हम एक पोष्ट मे आपको वता भि नेहि सकते। हनुमान चालिशा के पाठ से आपकि सारे काम सफलतार्पूवक पूर्न हो जाता हेँ। आपके अन्दर आत्मविश्वास वड जाता हे। कोइ भि काम आपको परिशानि मे नेहि डाल सकति। हनुमान जि कि साधना से वडे से सन्कट टल जाते हेँ। किसि भि शुभ काम से पेहले हनुमान चालिशा का पाठ अवश्य करना चाहिये। हनुमान चालिसा के पाठ से घर मे सुख शान्ति आति हेँ धन सम्पत्ति की वृद्धि होने लगते हे।
हनुमान चालिशा के 100 वार पाठ करने से आपकि कोइ भि इच्छा र्पूण हो सकता हेँ।
हनुमान चालिशा के पाठ कि विधि :-
किसि भि एक मंगलवार के दिन सुवहा उठकर स्नान आदि करने के वाद हनुमान जी के मुर्ति के सामने लाल आसन विछाकर वेठ जाय। हनुमान जी को भोग लगाय अर हनुमान जी के सामने घि का दीपक जलाय। अव राम स्तुति करे अर हनुमान जी की इस मन्त्र का एक माला जाप करे मन्त्र हेँ "ॐ श्री हनुमते नमः"। जाप हो जाने के वाद राम जी अर हनुमान जी को प्रनाम करे अर 11 वार इया 21 वार हनुमान चालिशा का पाठ करे। इयाद रखे पाठ के वीच मे पाठ छोडकर ना जाय। आपको सच्चे मनसे हनुमान चालिशा का पाठ करना हेँ। आप इसे रोज इया हर मंगलवार के दिन ए कर सकते हेँ। आप चाहे तो हनुमान चालिशा का 100 वार पाठ भि कर सकते हेँ।
ध्यान रखने वाली विषय:-
इसके प्रयोग के दरान आपको मास, मदिरा, पेँयाज, लसुन, सेवन नेहि करना हेँ। अर पुर्ण व्रह्भचर्य का पालन करना अनिवार्य हेँ। आपके मनमे नकारात्मक विचार नेहि आना चाहिये। गुस्सा नेहि करना हेँ। अर माता पिता का अशिर्वाद जरुर ले।
हनुमान चालिशा:-
>॥ॐ श्री गनेशाय नमः॥<
श्री गुरु चरन सरोज रज। निज मनु मुकुर सुधारि॥
वरनउ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
वुद्धिहीन तनु जानिके सुमिर पवन कुमार।
वल वुद्धि विद्या देहु मोहि॥ हरहु कलेस बिकार।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहु लोक उजागर॥
राम दुत अतुलित वलधामा।
अञ्जनी पुत्र पवनसुतनामा॥
महाविर विक्रम वजरङ्गी।
कुमति नीवार सुमति के सङ्गी॥
कञ्चन वरन विराज सुवेशा।
कानन कुन्डल कुञ्चित केसा॥
हात वज्र अर धोजा विराजे।
काधे मुज जनेउ साजे॥
संकर सुवन केसरि नन्दन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन॥
विद्यावान गुनि अति चातुर।
राम काज करिवो को आतुर॥
प्रभुचरित सुनिवोको रसिया।
राम लक्षम सीता मन वसिया॥
सुक्षरूप धरि सिहयि दिखावा।
विकट रूप घरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असु संहारे।
रामचन्द्र के काज सवारे॥
लाये सञ्जीवन लक्षन जीयाये।
श्री रघुवीर हरशि उर लाये॥
रघुपति की ही वहुत वडाइ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाइ॥
सहस वदन तोमह्रो यश गावे।
अस कही श्री पति कन्ठलगावे॥
सनकादित व्रह्मान्ड मुनिशा।
नारद सारद सहित अहिंसा॥
जव कुवेर दिकपाल जंहा तो।
कवि कोविन्द कवि सकि कँहातो॥
तुम उपकार सुग्रिव हि कीन्हा।
राम मिलाये राजपत जीन्हा॥
तुम्हरो मन्त्र बीभीषन माना।
लङ्कश्वर भय सव जग जान्हा॥
युग सहस्त्र योजन परभानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानु॥
त्रिकामेलि मुख माहि।
जलदलांगि गयि अचरचनायि॥
दुर्गम कार्य जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुमरे तेते॥
राम दुयारे तुम रखवारे।
होत ना आग्या वीनुपइ सारे॥
सव सुख्ल होइ तुम्हि सरना।
तुम रक्षक काहु को डरना॥
आपन तोज सम्भारो आपो।
तिनो लोक हाँकते काँपे॥
भुत पिशाच निकट नेहि आवे।
महावीर जव नाम सुनावे॥
नाश रोग हरो सव पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत वीरा॥
सन्कटते हनुमान छुडावे।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावे॥
सव पर राम तपस्वी राजा।
इनके कार्य सकल तोम साजा॥
अर मनोरथ जो कोइ लावे।
सोइया मित जीवन फल पावे॥
चारो जुग प्रताप तुम्हारा।
हे परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकन्दन राम दुलारे॥
अष्टसिद्धि न निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पाशा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरो भजन राम को पावे।
जनम जनम के दुःख विसरावे॥
अन्तकाल रघुवर पुररझाइ।
जाँहा जन्म हरि भक्तकँहाइ॥
अर देवता चित्तन धरहि।
हनुमत सेहि सर्वसुख करहि॥
सन्कट कटो मिटे सव पीरा।
जो सुमिरे हनुमत वलवीरा॥
जय जय जय हनुमान गसाइ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाइ॥
जो सत वार पाठ कर होइ।
चुके हि वन्दी महासुख होइ॥
जो ए पडे हनुमान चालिशा।
होये सिद्धि साखी गोरिसा॥
तुलसिदास सदा हरि चेरा।
कीजो नाथ हृदय महाडेरा॥
पवन तनय सन्कट हरन, मंगल मुर्ति रुप।
राम लक्षन सीता सहित, विनय वसहु सुरभु॥
FAQ
हनुमान चालिशा पडने का सही टाइम केया हेँ?
मान्यता अनुसार हनुमान चालिशा का पाठ सुवह या साम के वक्त किया जा सकता हेँ।
हनुमान चालिशा केसे पडा जायगा?
हनुमान चालिशा का पाठ करते समय स्वच्छता का विषय ध्यान रखना चाहिये।
हनुमान चालिशा का मन्त्र केया हेँ?
हनुमान चालिशा का मूल मन्त्र- ॐ हाँ हीँ हँ हेँ हः॥ हँ हनुमते रुद्रात्माकाय हुँ फट। ॐ हँ हनुमताय नमः।
हनुमान चालिशा 1 दिन मे कितनी वार पडना चाहिये?
शास्त्र मे यह विधान हे कि प्रतिदिन 100 वार पाठ करने से कोइ प्रकार के कष्ट दुर हो जाते हेँ, अगर आप एसा नेहि कर पाते तो कम से कम 7 वार पाठ करना चाहिये।
0 Comments